झारखंड में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व वाले गठबंधन की ऐतिहासिक जीत के बाद हेमंत सोरेन ने आज राज्यपाल संतोष गंगवार से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया। उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा भी सौंपा। अब 28 नवंबर को रांची में आयोजित भव्य समारोह में हेमंत सोरेन चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
झामुमो गठबंधन की बड़ी जीत
81 सीटों वाली विधानसभा में झामुमो, कांग्रेस और राजद के गठबंधन ने 56 सीटों पर जीत दर्ज कर सत्ता में जोरदार वापसी की है। दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)-नीत एनडीए को केवल 24 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। यह पहली बार है जब झारखंड में किसी सरकार को लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए जनादेश मिला है।
चुनाव नतीजों के बाद इंडिया गठबंधन के विधायकों ने सर्वसम्मति से हेमंत सोरेन को नेता चुना। इसके बाद उन्होंने गठबंधन का समर्थन पत्र लेकर राज्यपाल से मुलाकात की और सरकार बनाने का दावा पेश किया।
हेमंत सोरेन का बयान
राजभवन से लौटने के बाद हेमंत सोरेन ने कहा, “हमने लोकतंत्र की परीक्षा में सफलता पाई है। यह जीत जनता के विश्वास और हमारी नीतियों का प्रमाण है। 28 नवंबर को नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होगा। हम झारखंड के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं और सभी वर्गों को साथ लेकर चलेंगे।”
शपथ ग्रहण समारोह में जुटेंगे बड़े नेता
रांची में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में कई प्रमुख नेताओं के शामिल होने की संभावना है। इनमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राजद नेता तेजस्वी यादव और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी जैसे विपक्षी नेता भी शामिल हो सकते हैं।
झामुमो की जीत के पीछे की रणनीति
हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झामुमो ने जनता से जुड़े मुद्दों को चुनाव अभियान का केंद्र बनाया। भाजपा ने सोरेन सरकार पर भ्रष्टाचार और “घुसपैठ” जैसे मुद्दे उठाकर आक्रामक प्रचार किया, लेकिन आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में झामुमो की गहरी पैठ और जनता से जुड़ाव ने भाजपा के सभी दावों को नकार दिया।
हेमंत सोरेन की शानदार जीत
हेमंत सोरेन ने बारहाइट सीट से 39,791 वोटों के बड़े अंतर से जीत हासिल की। उन्होंने भाजपा के गम्लीयेल हेंब्रम को हराया। झामुमो ने कुल 34 सीटें, कांग्रेस ने 16 और राजद ने 4 सीटें जीतकर गठबंधन को मजबूत बनाया।
आने वाले कार्यकाल से उम्मीदें
हेमंत सोरेन सरकार के पिछले कार्यकाल में जनहितैषी योजनाओं और आदिवासी समुदाय के सशक्तिकरण को प्राथमिकता दी गई थी। इस बार जनता को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और आधारभूत संरचना में बड़े सुधारों की उम्मीद है।
झारखंड की जनता ने इस चुनाव में अपना स्पष्ट संदेश दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि झामुमो और उसके सहयोगी अपनी नीतियों और वादों पर कितने खरे उतरते हैं। 28 नवंबर को होने वाला शपथ ग्रहण समारोह न केवल एक औपचारिकता होगी, बल्कि झारखंड के विकास की नई यात्रा का आरंभ भी।